****************************************** खुदा ने नवाज़ा मुझे हर बरकत से उसे कुछ तो गुमान होगा मुझ पर कुछ गम की छीटे अगर डाल भी दी उसने उसका इतना तो हक बनता है ना मुझ पर ए खुदा, मै खुद पर नाज़ करू या तेरी वफाई पे लेकिन ये दिल, अब तो कुछ कहना चाहता है जिंदगी को शिद्दत से निभाने की एक कोशिश की तूने तो सारी खुशियाँ जैसे मेरी झोली में ही डाल दी कुछ गम ना आते अगर मेरे हिस्से में ए खुदा, तो दुनिया तुझे बेईमान कहती तेरे तराजू की तौल पे मुझे भी गुमान है खा़मखा़ मै इतना परेशान हो जाती हूँ माफ करना इन आँखों में जब भी आंसू आए नादान हूँ मै लेकिन मैने तुझसे वफा निभाई है एक छोटी सी इल्तिजा है मेरी तुझसे मेरी क़श्ती को बस यूंही पार लगा देना ******************************************
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