************************************ मैंने देखा है बहुत कुछ इन आँखों तले हां ये भी प्यार है साहब.... पिंजरे से पक्षी रुखसत करने पे मकान के इर्द-गिर्द घूमते देखा है मालिक के जनाजे के बाद जानवर को खाने से मुंह घुमाते देखा है हां ये भी प्यार है साहब... प्यार में भटके इंसान को 'ये बस मेरी माँ कर सकती है' कहते देखा है गरीब की पत्नी को 'चिंता मत करो कुछ गहने है अभी' कहते देखा है हां ये भी प्यार है साहब... मैंने परदेश में इंसान को अपने गाँव के लिए तड़पते देखा है हजारों के महफ़िल में एक पुराने दोस्त को याद करते देखा है हां ये भी प्यार है साहब... एक हिंदू के इंतक़ाल पे मुस्लिम भाई को कंधा देते देखा है बीमार बच्चे के पिता को मज़ारो में मन्नते मांगते देखा है
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