******************************************* अरे छोड़ो भी ये झगड़े और ये लडा़ई देखो एक बार होली फिर से लौट आई मेरे दिल के बहुत क़रीब से गुजरती हैं ये होली प्रेम एकता और सौहार्द का प्रतीक हैं ये होली बचपन की होली आज भी याद आती हैं ऐसी मौज मस्ती भी कही भूल पाती हैं रंगो में ऐसे सराबोर हो जाते थे हम सच कहे खुद को ही भूल जाते थे हम राह चलते हर एक को रंग लगाते थे रंगो से हम भी कहाँ बचना चाहते थे पापा मम्मी की डाट का कोई असर ही नही होता था क्या करे, रंगो को खेलने का एक ही मौका होता था होली आते ही दिल आज भी बच्चा बन जाता हैं रंग अबीर गुलाल मुझको आज भी इतना भाता हैं चलो एक बार फिर से रंगो से रंग मिलाये होली ही सही, हम सब एक रंग हो जाय वो बचपन की होली वो रंगो की टोली वो हँसी ठिठोली,मुझे बहुत याद आती हैं ***************************************
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