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Showing posts from February, 2019

meaningful quotes

गहरी बाते

देखो आयी बसंत

************************** देखो झूम झूम आयी बसंत हर दिल में छायी है उमंग खेत सरसों के लहरा रहे हैं किसान ख़ुशी के गीत रहें हैं मेहनत माली की भी रंग लायी है देखो हर तरफ हरियाली छायी हैं हर कली खिलने को बेताब है हर दिल में जगी अब आस है अब तो मौसम भी बहार आ गया देखो हर दिल में खुमार छा गया एक दिन को भी न गवाएंगे मिलकर ख़ुशी के गीत गाएंगे मौसम भी सौगात लेकर आया है बसंत ने हर दिल को महकाया है अब न मिटेगी ये आस हम सब होंगे एक साथ दिलों में प्रेम का दीपक जलायेंगे हर दिन को हम बसंत बनाएंगे **************************

चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो

************************************ चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो              ये जिंदगी है छोटी, इसे यूँ ही न गुज़ार दो न वक़्त की कमी हो, न लम्हों का हिसाब हो              कोशिशें हो बस इतनी कि एक दूजे से प्यार हो चलो ख्वाबों से उठाते हैं एक पल               इसका भी कुछ न कुछ तो होगा हल इसे हकीकत से रूबरू करो दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो चलो कुछ पुराने दोस्त बुलाते हैं               बचपन की यादों को फिर से महकाते हैं कुछ उनकी सुनो, कुछ अपनी भी कह दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो एक अरसा हुआ हैं मनमानी किए हुए               खुद से ही जैसे हैं बेईमानी किये हुए अपनी असलियत से रूबरू हो जाने दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो कमी कुछ भी तो नहीं हैं जिंदगी में               सब कुछ तो बसा हैं बंदगी में सच्चे दिल से किसी को याद तो कर लो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो *******************************************

ये कैसी कश्मकश.......

***************************** चाहिए क्या हमें, हम समझ ही नहीं पाते टूट जाते हैं रिश्ते, हम संभल ही नहीं पाते अहसास-ए-दरमियाँ तो तब जगता है जब एक पहिया गाड़ी का पलट चलता है पग पग जिंदगी भी गुजरती चली जाती है ख्वाइशें तो हकीकत को भी रौंदती चली जाती हैं गुजर जाती है उम्र जब, हम अहसास बुनने बैठते हैं फटे हुए कपड़ो की सिलाई हम आज करने बैठते हैं खुले दरवाज़ों में भी दस्तक न देते थे हम आज बेचैनियाँ हमारी दराज़ों से झांकती है महकाया ही नहीं ये दामन कभी हमने आज सिलवटों को पड़े जमाना हो गया हमें तो आदत हो गयी है गिर कर संभलने की पर चोट खाये हुए रिश्ते, आवाज नहीं करते कल हाथ पकड़ने में भी शर्म आती थी आज हथेलियां हमारी, तुम्हारा हिसाब मांगती हैं काश वक़्त रहते ही अहसास हो जाता शायद हर लम्हा कितना खास हो जाता ***************************************