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नसीहत. ........



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कहीं दूर बैठा वो सब कुछ देखता हैं
निगाहो से उसकी नहीं कुछ छिपता हैं

कर लो शरारतें यहाँ पर गुनाह मत करना
किसी दूजे के हक की फ़रियाद मत करना

चाह ले खुदा तो मंजिल दूर नही लगती
राजा से रंक बनने में भी देर नही लगती

इंसाफ के तराजू में खुद को तौल कर देखना
कभी अपनी हस्ती को भी टटोल कर देखना

वज़न अपने किरदार में कुछ इस तरह लाओ 
साँसें बंद हो जाय तुम्हारी,दिलों में तुम रह जाओ

प्यार मोहब्बत हमदर्दी जब खुले दिल से बरसाओगे
अपने अन्दर कभी ना मिटने वाली ताकत पाओगे

कट जाएगा हर वक्त, तुझे हिम्मत भी मिलेगी
तेरी अच्छाईयो की यहाँ तुझे कीमत भी मिलेगी

कभी किसी चीज़ पर सवाल ना होगा
बुरे वक्त में भी कोई मलाल ना होगा

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Comments

  1. सुंदर पंक्तियाँ

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  2. Mind blowing kavita ji kitna accha likhti hai,kaisa naam vaisa Hi kaam,aap yuhi acha acha acha likhti rahe. Very good.

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  3. Naseehat.... Yhi hme hmesha aage bdhata h,sikhata h,yhi hme shi raste,manjil aur parmatma tk phuchati h

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  4. इंसाफ के तराजू में खुद को तौल कर देखना
    कभी अपनी हस्ती को भी टटोल कर देखना

    kya likha h

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