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नही पता कितना सही या गलत हूँ मैं
पर आज भी मुझे नींद अच्छी आती हैं
सूरत को सँवारा कि नहीं,ये चेहरा लोगों को भाया कि नहीं
पर सीरत में मेरी कोई दाग लगे, ये खुद को गँवारा ही नहीं
माना कि मंजिलें आज भी बुलाती हैं मेरे हुनर को
पर जो पल अपनों के साथ बीते,मै उन्हें खोना नहीं चाहती
नहीं पता मुझे क्या ओहदा हैं तेरा, मुझे डर नहीं लगता
पर राह जब मुड़ती हैं सही रास्ते से,मै खुदा से डर जाती हूँ
छोटे छोटे पलो में खुश हो जाना, शामिल हैं मेरी फ़ितरत में
एक ही बार तो मिली हैं ये जिंदगी, मै अकेला होना नहीं चाहती
एक एक पल में संजोया हैं जिदंगी को मैने साहब
चंद अफवाहों में बहकर, मै दुखी होना नहीं चाहती
कल पछताना पडे मुझे खुद के निर्णय पर
आज मै इतनी मगरूर होना नहीं चाहती
दौर कुछ ऐसा हैं आजकल कि शोहरत बुलाती हैं सभी को
पर मै अपना ईमान इस कदर, सरेआम बेचना नहीं चाहती
मगरूर हैं दुनिया, दर्द दूजे के बाटने को तैयार ही नहीं
फिर तो मै अपनी खुशियाँ लोगों को देना नहीं चाहती
ऊँचे मुकाम का सौख तो रखती हूँ मैं
पर बस मै राह से भटकना नहीं चाहती
बड़ी शिद्दत से सजाया हैं मैने खुद को इतना वक्त देकर
ज़नाब मुझे आज भी रातो को नींद अच्छी आती हैं🙏🏻
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Kash sab ki soch aaisi ho👌👍
ReplyDeletebahut sahi.....lekin aas paas ke log aise hi hai jo ye samajhte hi nhi
ReplyDeleteOutstanding lines..dil se likhi gayi h..aur dil ko choone wali h
ReplyDeleteEk ek stanja bahut hi gajab h...kafi achhi poetry h
ReplyDeleteKuch kavitayen aise hoti h..jo dil man sab choo jati h..unme se ek h ye
ReplyDeleteKya baat hai, aap itne ghari se soch kar kasi lekh lete hai,aap ki kavita dil ko cho gaye.
ReplyDeleteVery true
ReplyDeleteJitne baar padho utne baar ye lines achhi lgti h..aisa lgta h roj ek bar padho
ReplyDeleteSuperb lines ...
ReplyDeleteVry beautiful lines..
ReplyDelete🙂👍
ReplyDeleteक्या बात क्या बात
ReplyDeleteMadam ap bahut sundar likhti h
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteAti sundar
ReplyDeleteWah gajab
ReplyDeleteWah gajab
ReplyDeleteWah gajab
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteGood evening mam,
ReplyDeleteI like all your poems