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गहरी बाते

देखो आयी बसंत

************************** देखो झूम झूम आयी बसंत हर दिल में छायी है उमंग खेत सरसों के लहरा रहे हैं किसान ख़ुशी के गीत रहें हैं मेहनत माली की भी रंग लायी है देखो हर तरफ हरियाली छायी हैं हर कली खिलने को बेताब है हर दिल में जगी अब आस है अब तो मौसम भी बहार आ गया देखो हर दिल में खुमार छा गया एक दिन को भी न गवाएंगे मिलकर ख़ुशी के गीत गाएंगे मौसम भी सौगात लेकर आया है बसंत ने हर दिल को महकाया है अब न मिटेगी ये आस हम सब होंगे एक साथ दिलों में प्रेम का दीपक जलायेंगे हर दिन को हम बसंत बनाएंगे **************************

चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो

************************************ चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो              ये जिंदगी है छोटी, इसे यूँ ही न गुज़ार दो न वक़्त की कमी हो, न लम्हों का हिसाब हो              कोशिशें हो बस इतनी कि एक दूजे से प्यार हो चलो ख्वाबों से उठाते हैं एक पल               इसका भी कुछ न कुछ तो होगा हल इसे हकीकत से रूबरू करो दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो चलो कुछ पुराने दोस्त बुलाते हैं               बचपन की यादों को फिर से महकाते हैं कुछ उनकी सुनो, कुछ अपनी भी कह दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो एक अरसा हुआ हैं मनमानी किए हुए               खुद से ही जैसे हैं बेईमानी किये हुए अपनी असलियत से रूबरू हो जाने दो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो कमी कुछ भी तो नहीं हैं जिंदगी में               सब कुछ तो बसा हैं बंदगी में सच्चे दिल से किसी को याद तो कर लो               चलो एक लम्हा आज फिर सवांर दो *******************************************

ये कैसी कश्मकश.......

***************************** चाहिए क्या हमें, हम समझ ही नहीं पाते टूट जाते हैं रिश्ते, हम संभल ही नहीं पाते अहसास-ए-दरमियाँ तो तब जगता है जब एक पहिया गाड़ी का पलट चलता है पग पग जिंदगी भी गुजरती चली जाती है ख्वाइशें तो हकीकत को भी रौंदती चली जाती हैं गुजर जाती है उम्र जब, हम अहसास बुनने बैठते हैं फटे हुए कपड़ो की सिलाई हम आज करने बैठते हैं खुले दरवाज़ों में भी दस्तक न देते थे हम आज बेचैनियाँ हमारी दराज़ों से झांकती है महकाया ही नहीं ये दामन कभी हमने आज सिलवटों को पड़े जमाना हो गया हमें तो आदत हो गयी है गिर कर संभलने की पर चोट खाये हुए रिश्ते, आवाज नहीं करते कल हाथ पकड़ने में भी शर्म आती थी आज हथेलियां हमारी, तुम्हारा हिसाब मांगती हैं काश वक़्त रहते ही अहसास हो जाता शायद हर लम्हा कितना खास हो जाता ***************************************

सबक़-ए-ज़िन्दगी

******************************** ये जिंदगी है ज़नाब इसे मजबूरियाँ न बनाइए जो मिला है यहां उसे शिद्दत से निभाइए कुछ नए की चाह में कुछ टूट न जाये कहीं मिली हुई चीज़ भी छूट न जाये सवालों की इतनी लड़ियाँ क्यों खड़ा करता है तू चलता चल इस जिंदगी को,क्यूँ उलझता है तू किस बात की उल्फत पाल रखी है तेरी खुशियां तेरी मुट्ठी में ही तो रखी है जो तेरा है वो तो तेरा ही रहेगा फिर दीपक तले अंधेरा ही रहेगा मत इतना उलझ कि तू ही टूट जाये जीने का क्या मजा जब सफर ही छूट जाये वक़्त का क्या भरोसा कब कौन साथ छोड़ दे फिर बीता हुआ वक़्त हमको सिर्फ अफ़सोस दे सही गलत का फ़र्क समझ, खुशियाँ तू वसूल कर ये जिंदगी है एक तोहफा इसे क़ुबूल कर ********************************

आ गया नया साल

****************************** देखो आ गया नया साल लेकर नयी उमंगें नए हाल क्या होना है  कुछ पता नहीं फिर भी बेताबियों की कमी नहीं चलो मिलकर लेते हैं ये फैसला न होने देंगे कम किसी का हौसला हर सुबह को इतना महकायेंगे हम दिलों में दीपक कुछ यूँ जलाएंगे हम इस साल को कुछ ऐसे अपनाना है हर मोड़ पर कुछ कर दिखाना है फिर इस बार नया कैलेंडर आएगा हमको हमारा भविष्य बताएगा पर नहीं, कुछ तो नया करना है अपने इरादों से नहीं मुकरना है वो साल अब दूर नहीं बुलंदी इस बार क्यों नहीं वैसे तो सब कुछ है ईश्वर की मर्ज़ी पर क्यों न  लगाएं कर्मों की अर्ज़ी बीते सालों का अफ़सोस न होगा इस बार फैसला कुछ और ही होगा *********************************

मेहरबानियाँ

************************************ खुदा की हर चीज़ को सलीके से सजाना जो भी दिया है उसने गले से लगाना आज गम सही कल खुशियां भी देगा तबस्सुम से भरा तेरा  दामन भी देगा माना खुशी के बाद गम का भी आना होता है रहमतें खुदा की हों तो हर दौर सुहाना होता है गर्दिशें कितनी भी हों, टल ही जाती हैं मेहरबानी ख़ुदा की हो, बात बन ही जाती है सुख और दुःख तो आते जाते रहते हैं साफ नीयत हो तो लोग सज़दा करते हैं छल कपट से दूर रहना, रखना अंतर्मन का भाव मुश्किलें कितनी भी हों नहीं होगा कोई अलगाव चाह ले ख़ुदा तो तुझे हर मंजिल नसीब होगी दुनिया की हर ख़ुशी तेरे दामन के करीब होगी मकसद कोई तो होगा जो तुझे इस दर्द से नवाजा है इस अनजानी दुनिया में उसका कुछ तो इरादा है बस वक़्त से पहले तुम कभी न हारना ख़ुदा का तो काम ही हर दर्द से उबारना **********************************

रिश्तों की माला

*************************** जब टूटता है धागा तब पड़ती है गाँठ फिर कभी नहीं आती वो पहले सी बात फिर धागे में मोती को पिरोना सामान्य नहीं होता माला तो बनती है संभालना आसान नहीं होता शिद्दत मोती की न कम कमजोरी धागे की उसे तोड़ ही देता महज एकतरफा तमन्नाओं का होना बुनियाद नहीं होता गम माला के टूटने का पूरी महफ़िल मनाती है वक़्त गुजरता है और बात ओझल हो जाती है लाख कोशिशें भी नाकामयाब हो जाती हैं जब टूटता है माला बात सरेआम हो जाती है कशक कितनी भी हो, फिर वो शान नहीं आती पड़ जाये गाँठ तो रिश्ते में जान नहीं आती करो ऐसी शुरुआत कि हो नया आगाज़ न पड़ने दो फिर गाँठ तब सजेगा साज *****************************

जिंदगी सिर्फ एक फ़साना....

************************** जिंदगी सिर्फ एक फ़साना है जहाँ लोगों का आना जाना है। सुख और दुःख के मेले हैं फिर भी सब अकेले हैं। हर उम्र के अपने अफ़साने हैं वक़्त के साथ बदलते फ़साने हैं। कभी कुछ पाते हैं कभी खो भी देते हैं कभी आखों के चिलमन से रो भी देतें हैं। साज़िशों के पुलिंदे यहां कम नहीं होते दो कदम के साथ पे लोग अपने नहीं होते।  लोग यूँ ही मुस्करा देते हैं दिखाने के लिए अफ़साने भी बन जाते हैं रिझाने के लिए। जिंदगी हर मोड़ पर अच्छी नहीं होती हर दिखने वाली मुस्कराहट सच्ची नहीं होती। जिंदगी में ख्वाहिशें भी कहाँ पूरी होती हैं कितना भी मिल जाये जिंदगी अधूरी होती है। जिंदगी सिर्फ एक फ़साना है जहाँ लोगों का आना जाना है|