********************************
ये जिंदगी है ज़नाब इसे मजबूरियाँ न बनाइए
जो मिला है यहां उसे शिद्दत से निभाइए
कुछ नए की चाह में कुछ टूट न जाये
कहीं मिली हुई चीज़ भी छूट न जाये
सवालों की इतनी लड़ियाँ क्यों खड़ा करता है तू
चलता चल इस जिंदगी को,क्यूँ उलझता है तू
किस बात की उल्फत पाल रखी है
तेरी खुशियां तेरी मुट्ठी में ही तो रखी है
जो तेरा है वो तो तेरा ही रहेगा
फिर दीपक तले अंधेरा ही रहेगा
मत इतना उलझ कि तू ही टूट जाये
जीने का क्या मजा जब सफर ही छूट जाये
वक़्त का क्या भरोसा कब कौन साथ छोड़ दे
फिर बीता हुआ वक़्त हमको सिर्फ अफ़सोस दे
सही गलत का फ़र्क समझ, खुशियाँ तू वसूल कर
ये जिंदगी है एक तोहफा इसे क़ुबूल कर
********************************
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबार बार सोचा की क्या लिखू पर कही न कही आंखे नम हो जाती थी पढ़ कर बहुत कुछ सीखा जाती हैं आपकी कविताये वाह मैडम बहुत बढ़िया लिखती हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर मानो पूरी कविता में एक उपन्यास छिपी हो
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteHeart touching lines.. nice poetry mam
ReplyDeleteDoing a gd job mam
ReplyDeleteJindagi ke baare me apki soch bahut achhi hai
ReplyDeleteLots of sweetness in this poem
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteJivan k lie bahut badi seekh h apki kavita
ReplyDeleteक्या आप बज़ट के अभाव में अपनी पुस्तक प्रकाशित नहीं करा पा रहे है? या आपको तकनीकि जानकारी नहीं है जिस कारण Do it Yourself (DIY) जैसी योजनाओं में भी आप पुस्तक प्रकाशित नहीं करा पा रहे है।
ReplyDeleteहम जानते है लेखकों के साथ ऐसी कई समस्याएं होती है, इसलिए ऐसी कई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए लाएं है स्पेशल स्वयं प्रकाशन योजना। इस योजना को इस प्रकार तैयार किया गया है कि लेखक पर आर्थिक बोझ न पड़े और साथ ही लेखक को उचित रॉयल्टी भी मिले।
हमारा उद्देश्य : लेखक के बज़ट में उच्च क्वालिटी की पुस्तकों का प्रकाशन एवं 100% रॉयल्टी।
अधिक जानकारी के लिए विजिट करें - https://www.prachidigital.in/special-offers/
हम नंबर 1 नहीं है, लेकिन लेखक को निराश नहीं होने देते है - प्राची डिजिटल पब्लिकेशन
Kya bat h....wah
ReplyDeleteKya Sandesh Dia h apne Kavita k madhyam se
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeletebahut hi sundar likha hai
ReplyDeletesochne pe majboor krti hai apki ye poem
ReplyDeleteMotivational poem
ReplyDelete