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रिश्तों की माला


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जब टूटता है धागा तब पड़ती है गाँठ
फिर कभी नहीं आती वो पहले सी बात

फिर धागे में मोती को पिरोना सामान्य नहीं होता
माला तो बनती है संभालना आसान नहीं होता

शिद्दत मोती की न कम कमजोरी धागे की उसे तोड़ ही देता
महज एकतरफा तमन्नाओं का होना बुनियाद नहीं होता

गम माला के टूटने का पूरी महफ़िल मनाती है
वक़्त गुजरता है और बात ओझल हो जाती है

लाख कोशिशें भी नाकामयाब हो जाती हैं
जब टूटता है माला बात सरेआम हो जाती है

कशक कितनी भी हो, फिर वो शान नहीं आती
पड़ जाये गाँठ तो रिश्ते में जान नहीं आती

करो ऐसी शुरुआत कि हो नया आगाज़
न पड़ने दो फिर गाँठ तब सजेगा साज

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नसीहत. ........

********************************** कहीं दूर बैठा वो सब कुछ देखता हैं निगाहो से उसकी नहीं कुछ छिपता हैं कर लो शरारतें यहाँ पर गुनाह मत करना किसी दूजे के हक की फ़रियाद मत करना चाह ले खुदा तो मंजिल दूर नही लगती राजा से रंक बनने में भी देर नही लगती इंसाफ के तराजू में खुद को तौल कर देखना कभी अपनी हस्ती को भी टटोल कर देखना वज़न अपने किरदार में कुछ इस तरह लाओ  साँसें बंद हो जाय तुम्हारी,दिलों में तुम रह जाओ प्यार मोहब्बत हमदर्दी जब खुले दिल से बरसाओगे अपने अन्दर कभी ना मिटने वाली ताकत पाओगे कट जाएगा हर वक्त, तुझे हिम्मत भी मिलेगी तेरी अच्छाईयो की यहाँ तुझे कीमत भी मिलेगी कभी किसी चीज़ पर सवाल ना होगा बुरे वक्त में भी कोई मलाल ना होगा *********************************

चुपचाप सब हो जाता है.........