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जब टूटता है धागा तब पड़ती है गाँठ
फिर कभी नहीं आती वो पहले सी बात
फिर धागे में मोती को पिरोना सामान्य नहीं होता
माला तो बनती है संभालना आसान नहीं होता
शिद्दत मोती की न कम कमजोरी धागे की उसे तोड़ ही देता
महज एकतरफा तमन्नाओं का होना बुनियाद नहीं होता
गम माला के टूटने का पूरी महफ़िल मनाती है
वक़्त गुजरता है और बात ओझल हो जाती है
लाख कोशिशें भी नाकामयाब हो जाती हैं
जब टूटता है माला बात सरेआम हो जाती है
कशक कितनी भी हो, फिर वो शान नहीं आती
पड़ जाये गाँठ तो रिश्ते में जान नहीं आती
करो ऐसी शुरुआत कि हो नया आगाज़
न पड़ने दो फिर गाँठ तब सजेगा साज
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Beautiful
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteSo nice
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ReplyDeleteरहिमन धागा प्रेम का,
मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे,
जुरे गाँठ परी जाय.
bahut bahut abhar
DeleteAti sundar
DeleteDeep thinking
ReplyDeleteDeep thinking
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteBahut sundar likhti h ap
ReplyDeleteBahut sundar likhti h ap
ReplyDeletedeep thoughts
ReplyDeletegehrai bhari bat
ReplyDeletemala k madhyam se bahut sundar vardan kia hai
ReplyDeletekya bat hai kavita ji
ReplyDeleteeverybody should understand the value of relationship
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