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गुफ्तगू कुछ दिल की .......


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हर लमहा सजाने का शौक था मुझे
जिंदगी खुद ब खुद सवरती गई
                              पता ही ना चला

अपनो के जज्बात कुछ अपने से लगते थे मुझे
दिलो में उनके हुकूमत कब मेरी चलने लगी
                                              पता ही ना चला

हर लमहा  अपनो को देना मुनासिब लगता था मुझे
रिश्ता कोई भी क्यों ना हो, हम दोस्त कब बन गये
                                                            पता ही ना चला

उलझनें जिंदगी की कुछ यूँ मुख्तसर की मैने
खुशियों के पयाम कब मुखातिब हो चले
                                            पता ही ना चला

अपने कदमों की हिफाज़त कुछ यूँ की मैने
जिंदगी मेरी कब यहाँ  मुनव्वर हो चली
                                         पता ही ना चला

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दामन उम्मीद का ...quotes

नसीहत. ........

********************************** कहीं दूर बैठा वो सब कुछ देखता हैं निगाहो से उसकी नहीं कुछ छिपता हैं कर लो शरारतें यहाँ पर गुनाह मत करना किसी दूजे के हक की फ़रियाद मत करना चाह ले खुदा तो मंजिल दूर नही लगती राजा से रंक बनने में भी देर नही लगती इंसाफ के तराजू में खुद को तौल कर देखना कभी अपनी हस्ती को भी टटोल कर देखना वज़न अपने किरदार में कुछ इस तरह लाओ  साँसें बंद हो जाय तुम्हारी,दिलों में तुम रह जाओ प्यार मोहब्बत हमदर्दी जब खुले दिल से बरसाओगे अपने अन्दर कभी ना मिटने वाली ताकत पाओगे कट जाएगा हर वक्त, तुझे हिम्मत भी मिलेगी तेरी अच्छाईयो की यहाँ तुझे कीमत भी मिलेगी कभी किसी चीज़ पर सवाल ना होगा बुरे वक्त में भी कोई मलाल ना होगा *********************************

चुपचाप सब हो जाता है.........