**************************************** दिसम्बर का महिना देखो जाने को है या यूँ कहे यारो, जनवरी आने को है ऐ दिसम्बर मुझे तेरे जाने का गम नहीं है मेरी उम्मीदों को जनवरी ने थाम रक्खा है वो चाय की चुसकियां, वो कुछ मीठे मीठे से पल उन अपनो की यारियो ने मुझे सम्भाल रक्खा है इस अन्त से ही तो नयी शुरुआत होती है जैसे हर रात के बाद सुबह साथ होती है क्यों रोए हम इस दिसम्बर, उन पुरानी यादों में चलो करते हैं स्वागत जनवरी का, नये वादो से सिर्फ़ यादों की झडियाँ नहीं कितने तजुर्बे साथ हैं शायद तभी जनवरी के महिने में एक नयी आस हैं ये फलसफा यूँ ही चलता रहेगा जैसे पल पल वक्त गुजरता रहेगा फिर दिसम्बर आयेगा एक नयी जनवरी लायेगा ***************************************