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वो बचपन की यादें.....🧗...



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वो बचपन के दिन भी कितने खास होते थे
हिसाब किसी लमहे का हमें रखना ना होता

ना फिक्र किसी चीज़ की, ना पाने की चाह होती थी
माँ की मुस्कुराहट में ही बस अपनी जान होती थी

खिलौना भूल से जो टूट जाय दामन भीग जाता था
आज दिलो को तोड़ देने का भी अफसोस नहीं होता

सुकून के पल हमें  हर रोज मिल जाया करते थे
आज फुरसत के लमहो को ढूंढ़ते जमाना हो गया

हजारों गलतियों की सजा होती थी हम पर मुकर्रर
आज तो अपनो की बाते भी बहुत तेज चुभती हैं

शौक नये खिलौने से खेलने का हर रोज रखते थे
दिलों से खेलना साहब  शायद अच्छा नहीं होता

एक नज़र टिक जाय जिस पर हर हाल में मेरी होनी थी
आज ख्वाहिशे जानकर भी हम नजरअंदाज करते हैं

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********************************** कहीं दूर बैठा वो सब कुछ देखता हैं निगाहो से उसकी नहीं कुछ छिपता हैं कर लो शरारतें यहाँ पर गुनाह मत करना किसी दूजे के हक की फ़रियाद मत करना चाह ले खुदा तो मंजिल दूर नही लगती राजा से रंक बनने में भी देर नही लगती इंसाफ के तराजू में खुद को तौल कर देखना कभी अपनी हस्ती को भी टटोल कर देखना वज़न अपने किरदार में कुछ इस तरह लाओ  साँसें बंद हो जाय तुम्हारी,दिलों में तुम रह जाओ प्यार मोहब्बत हमदर्दी जब खुले दिल से बरसाओगे अपने अन्दर कभी ना मिटने वाली ताकत पाओगे कट जाएगा हर वक्त, तुझे हिम्मत भी मिलेगी तेरी अच्छाईयो की यहाँ तुझे कीमत भी मिलेगी कभी किसी चीज़ पर सवाल ना होगा बुरे वक्त में भी कोई मलाल ना होगा *********************************

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