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धरती और अम्बर भी साथ निभाते हैं
ना मिलकर भी वफ़ा का गीत गाते हैं
वनवास राम का था, साथ सीता ने निभाया
साथ पिया का फिर तो सब कुछ रास आया
कृष्ण साथ ना फिर भी समर्पण राधा का काम आया
साथ ना थे वो पर हर जुबां पर राधेकृष्ण ही नाम आया
घनघोर तप गौरा का, शिव शंकर को पाया था
ना जाने कितने दिन भूख प्यास से बिताया था
लक्ष्मी का तेज कभी भी किसी दिशा में कम नहीं होता
फिर भी उन्हें पति के चरणों में ही जन्नत का सुख होता
जिसकी मिलने की खुशी सबको है सताती
माँ लक्ष्मी परम पिता के चरणों में सुख पाती
तप किसी का भी यहां निरर्थक नहीं जाता
क्यों ना हो, रिश्ता रुह से है जब जुड़ जाता
ये कैसी माया है प्रभु की, सबने वफ़ा को ही चाहा है
मिली बस उसको ही, जिसने शिद्दत से निभाया है
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👌👍🙏
ReplyDeleteAmazing
ReplyDeleteमिली बस उसको ही, जिसने शिद्दत से निभाया है
ReplyDeleteBahut sundar sbad
Kya baat hai
ReplyDeleteAti Sundar
ReplyDeletetrust is necessary from both sided in each relation
ReplyDeletebahut hi sundar vardan
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