******************************************
कितनी हसरत से पालते हैं माँ बाप बच्चे को
जैसे जीवन की हर आरज़ू मुकम्मल हो गई हो
एक औलाद क्या हुई, हासिल ए जन्नत हो जाती हैं उन्हें
जैसे उनकी ख्वाहिशो को फिर से मुकद्दर मिल गया हो
एक उम्र तक अपनी हर हसरत पूरी होने की आरज़ू होती थी
आज जैसे जिंदगी को दुबारा शुरू करने की इजाज़त मिली हो
कल तक जो नासमझ थे जिंदगी के पैमाने पे
माँ बाप क्या बने जैसे समझदारी ही आ गई
पड़ाव कोई भी हो उम्र का, बच्चे का गिरना हर वक्त सताता है
बच्चे को सही मार्ग पर चलता देखकर ही उन्हें सुकून आता है
माँ को तो अपने बच्चे में जैसे कोई कमी नज़र ही नहीं आती
एक बड़ा काम क्या किया, पिता की छाती फूली नहीं समाती
ये माँ बाप है ज़नाब जिंदगी हमारी क़र्जदार हैं इनकी
चुकाना तो दूर रहा,एहसास हो जाय इतना ही बहुत है
*******************************************
Bilkul sahi
ReplyDeleteहर पैमाने पर बहुत सही उतरती हैं ये कविता चाहे खुद जब आप बच्चे हो या जब आप खुद अभिवावक बन गए हो वह क्या लिखा है अपने
ReplyDeleteOutstanding lines....dil ko choo Gai..bahut gaharai h es Kavita me...aur poori sachhai h....Kavita nahi ye jindagi ka aaina hai...jaise dekhne ka saubhagya milna hi bahut hai..hats off to u
ReplyDeleteWahhh.....shabd nhi hai is kavita ki tareef karne key liye
ReplyDeleteVery nice and heart touching ever lines.
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteBeautiful lines
ReplyDeleteBahut Sundar vardan
ReplyDeleteBehtreen
ReplyDeleteएक उम्र तक अपनी हर हसरत पूरी होने की आरज़ू होती थी
ReplyDeleteआज जैसे जिंदगी को दुबारा शुरू करने की इजाज़त मिली हो
sach me....sahi kaha apne
wah ....too good
ReplyDelete