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चंद लम्हों के हक़दार हम आज भी हैं
हाँ तेरे तलबगार हम आज भी हैं।
वक़्त बीता है तेरे संग जिंदगी तो नहीं
हाँ उन लम्हों के फिकरदार हम आज भी हैं।
संग जो चलती रहें तेरी वफ़ाएं जानम
हाँ उस कश्ती के सवार हम आज भी हैं।
तुझमें है कैसी कशिश जो खींचे है मुझे
हाँ उस हिफाज़त के करज़दार हम आज भी हैं।
था तू मेरा प्यार अब जरुरत मेरी
हाँ इस जरूरत के गुनहगार हम आज भी हैं।
जिस घड़ी था तू मिला, था खुदा मेहरबान
हाँ उस खुदा के करज़दार हम आज भी हैं।
चंद लम्हों के हक़दार हम आज भी हैं
हाँ तेरे तलबगार हम आज भी हैं।
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Lovely poetry ..hats off to you
ReplyDeleteKya bat hai...nice poetry
ReplyDeleteWah....wah.....wah...
ReplyDeleteShabdon ki bahut sundar mala banai hai apne
ReplyDeleteWhat a love
ReplyDeleteWah,maza aa gai
ReplyDeleteWah.....what a love
ReplyDeleteWhat a lovely poem
ReplyDeleteWow so nice
ReplyDeleteromantic poem.....so beautiful lines
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